
देहरादून: उत्तराखंड एसटीएफ ने फेसबुक/व्हाट्सएप पर फर्जी प्रोफाइल और कई अंतरराष्ट्रीय/स्थानीय मोबाइल नंबरों का उपयोग कर छोटे रिटर्न देकर निवेश के लिए प्रोत्साहित करने वाले मास्टरमाइंड साइबर ठग को कोलकाता से गिरफ्तार किया. आरोपी ने एक पीड़ित को खुद को वित्तीय सलाहकार, कार्यालय/कंपनी का प्रतिनिधि बताकर निवेश का लालच दिया था और बाद में धमकी, ब्लैकमेल और डर दिखाकर ठगी को अंजाम दिया था.
दरअसल, देहरादून निवासी द्वारा दिसंबर 2024 को साइबर थाना देहरादून में शिकायत दर्ज कराई थी कि पीड़ित को जुलाई 2020 में फेसबुक/व्हाट्सएप के माध्यम से ठग ने नामी कंपनी का वित्तीय सलाहकार बनकर संपर्क किया और अपने साथियों के साथ अलग-अलग नंबरों से व्हाट्सएप कॉल, मैसेज के जरिए निवेश के बहाने शुरुआती रिटर्न देकर विश्वास में लिया.
उसके बाद 28 जुलाई 2020 से लेकर 9 अगस्त 2024 के दौरान पीड़ित से अलग-अलग बैंक खातों में कुल 98 लाख के करीब धनराशि जमा करवाई. उसके बाद में आरोपियों ने न तो राशि लौटाई और न ही कोई लाभांश दिया. बल्कि धमकी और ब्लैकमेल करके कहा कि पैसा अवैध गतिविधियों (डेटिंग ऐप्स, चुनावी फंडिंग, शेयर बाजार आदि) में उपयोग हुआ है. यदि रिपोर्ट किया तो परिवार को नुकसान पहुंचाया जाएगा. इस प्रकार व्हाट्सएप नंबर, फर्जी पहचान और तकनीकी साधनों का प्रयोग कर सुनियोजित साइबर ठगी को अंजाम दिया गया.
मुकदमा दर्ज करने के बाद साइबर पुलिस ने ठगी में प्रयोग बैंक खातों, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबरों, व्हाट्सएप की जानकारी के लिए संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनियों, मेटा कंपनी से पत्राचार कर डेटा लिया गया. प्राप्त डेटा के आधार कर आरोपी की पहचान मृदुल सूर निवासी पश्चिम बंगाल के रूप में की गई, जो फर्जी प्रोफाइल और अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबरों का उपयोग कर लाखों की साइबर ठगी को अंजाम देने के लिए अलग-अलग नामों से प्रोफाइल और इंटरनेशनल नंबरों का इस्तेमाल करता था. इसी क्रम में आरोपी मृदुल सूर को कोलकाता, पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया.
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी मृदुल सूर और उसके सहयोगी अलग-अलग सदस्य वित्तीय सलाहकार, बैंक खाता धारक और तकनीकी सहयोगी की भूमिका निभाते थे. गिरफ्तार किया गया आरोपी मृदुल सूर भी इसी नेटवर्क का सक्रिय सदस्य है. जिसने अपनी पत्नी के नाम पर बैंक खाता खुलवाकर उसमें प्राप्त ठगी की राशि को खुद प्रयोग किया और अन्य खातों में ट्रांसफर किया.
आरोपी ने पीड़ित से 28 जुलाई 2020 से 9 अगस्त 2024 के बीच निवेश के बहाने अलग-अलग बैंक खातों में 98 लाख रुपए की धनराशि ट्रांसफर करवाई. साथ ही आरोपी को धारा 41 सीआरपीसी का नोटिस दिए जाने के बावजूद वह लगातार जांच से बचता रहा, जिस कारण न्यायालय से गैर-जमानती वारंट प्राप्त कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया. आरोपों के बैंक खातों के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं.