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आपदा के 19 दिन बाद भी नहीं खुला मार्ग, जनप्रतिनिधियों ने दी आत्मदाह की चेतावनी, डीएम ऑफिस में दिया धरना

रुद्रप्रयाग: जिले के पूर्वी बांगर क्षेत्र में आई आपदा के 19 दिनों बाद भी मोटरमार्ग नहीं खोले जाने से आक्रोशित जनप्रतिनिधियों ने जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर आक्रोश जताया. उन्होंने कार्यालय परिसर में प्रदर्शन करते हुए धरना दिया और जल्द से जल्द आपदाग्रस्त इलाकों में कार्य नहीं किए जाने पर आत्मदाह की चेतावनी दी.

सोमवार को रुद्रप्रयाग विधानसभा के उछोला, भौर, मथ्यागांव, भुनालगांव, डांगी, बक्सीर, खौड़, बेडारू, घंघासू के जनप्रतिनिधि ज्येष्ठ प्रमुख नवीन सेमवाल के नेतृत्व में जिला कार्यालय पहुंचे. यहां पहुंचने के बाद पूर्वी बांगर के जनप्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरना दिया.

जनप्रतिनिधियों ने कहा कि बीते 28 अगस्त को पूर्वी बांगर में आई आपदा के कारण छेनागाड़-घंघासू का 9 किमी मोटरमार्ग बंद पड़ा है. मोटरमार्ग करीब 6 से 7 स्थानों पर क्षतिग्रस्त है. विभाग की ओर से मार्ग को खोलने के लिए मात्र एक जेसीबी मशीन भेजी गई है, जो पहले से ही खराब स्थिति में है. ग्रामीण जनता किसी तरह जौला-उछोला पौराणिक रास्ते का उपयोग करके आवागमन कर रही है. मोटरमार्ग के बंद होने से करीब 10 हजार की जनसंख्या प्रभावित हो गई है.

ज्येष्ठ प्रमुख नवीन सेमवाल ने कहा कि जहां छेनागाड़-घंघासू मोटरमार्ग बंद होने से ग्रामीणों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं इसके विकल्प के तौर पर छेनागाड़-बधाणीताल पांच किमी मोटरमार्ग और जौला-उछोला ढाई किमी मोटरमार्ग का निर्माण किया जाना जरूरी है. इन मोटरमार्गों के निर्माण से आपदा के समय ग्रामीण जनता को राहत मिलेगी. जखोली ब्लॉक के ज्येष्ठ प्रमुख नवीन सेमवाल ने कहा कि यदि इन मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की जाती है तो पूर्वी बांगर की जनता उग्र आंदोलन के साथ आत्मदाह जैसे कदम उठाने को विवश हो जाएगी.

उछोला प्रधान चंडी प्रसाद मौर्य ने कहा कि ग्रामीण जनता को रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने में दिक्कतें हो रही हैं तो बीमार ग्रामीणों को पालकी के सहारे जंगल वाले रास्ते से होकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है. करीब क्षेत्र के 150 से ज्यादा स्कूली बच्चे भी पठन-पाठन से वंचित हो गए हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विधायक भी क्षेत्र की जनता के प्रति उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं. आपदा को इतना समय गुजर गया है, लेकिन ग्रामीणों की सड़क खोलने की मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है, जिस कारण क्षेत्र में हाहाकार जैसे हालात बने हुए हैं.

जनप्रतिनिधि अजय पुंडीर ने कहा कि आपदाग्रस्त इलाकों में हालात बद से बदतर बने हुए हैं. ग्रामीण जनता क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को कोस रही है. अधिकारियों के सुस्त रवैये के कारण आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से राहत-बचाव के कार्य नहीं हो पा रहे हैं.

धरना देने के बाद जनप्रतिनिधि अपर जिलाधिकारी श्याम सिंह राणा से मिले और जल्द छेनागाड़-घंघासू मोटरमार्ग को खोलने के लिए पोकलैंड मशीन भेजने की मांग की. एडीएम ने ग्रामीणों की समस्या को समझते हुए लोनिवि के अधिशासी अभियंता को जल्द क्षेत्र में मशीन भेजने के निर्देश दिए, जिसके बाद जनप्रतिनिधियों का आक्रोश शांत हो पाया.

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