
देहरादून: उत्तराखंड में यूजेवीएनएल के लिए आने वाले दिन और भी कठिन हो सकते हैं. लगातार बढ़ती ठंड से नवम्बर महीने में ही बिजली संकट की संभावनाएं बढ़ने लगी हैं. प्रदेश में तापमान गिरते ही बिजली उत्पादन पर असर शुरू हो गया है. ओबरा एल विद्युत केंद्र की कई इकाइयों ने निर्धारित क्षमता के मुकाबले कम बिजली पैदा की. जिससे प्रदेश के ऊर्जा प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया है. हालात यह हैं कि पहली बार ऊर्जा निगम को लगभग 5 प्रतिशत अतिरिक्त बिजली बाजार से खरीदने की तैयारी कर रहा है.अधिकारियों का कहना है कि उत्पादन को सामान्य करने के लिए सभी यूनिटों में आपात मरम्मत कार्य चल रहा है. ठंड बढ़ने के साथ ही मांग तेजी से बढ़ गई है. जिससे सप्लाई बनाए रखना चुनौती है.
ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कई यूनिटों में तकनीकी खामियों के साथ-साथ ठंड के मौसम में प्रक्रिया कमजोर पड़ने से मशीनें निर्धारित क्षमता से काम नहीं कर पा रहीं है. इसका सीधा असर आउटपुट पर पड़ रहा है. सामान्य दिनों में बिजली का उत्पादन सुचारु रूप से चलता है. वहीं, इस हफ्ते यह 15 से 20 प्रतिशत तक कम रहा है.
उत्पादन घटने का सबसे बड़ा असर सप्लाई सिस्टम पर पड़ रहा है. प्रदेश में इन दिनों गीजर, हीटर और अन्य उपकरणों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी हुई है. जिसकी वजह से मांग अचानक 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है. मांग और उत्पादन के इस अंतर को देखते हुए राज्य लोड डिस्पैच केंद्र को कई बार लोड मैनेजमेंट करना पड़ता है. इससे कुछ जिलों में निर्धारित समय से अधिक कटौती की है.
विभाग का कहना है की ये सभी अस्थाई है. ऊर्जा विभाग का कहना है कि जैसे-जैसे ठंड और बढ़ेगी बिजली की मांग भी बढ़ेगी. ऐसे में उत्पादन स्थिर नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में बाजार से और अधिक बिजली खरीदनी पड़ सकती है. यह स्थिति बिजली निगम पर वित्तीय बोझ बढ़ाएगी. बाजार से खरीदी गई बिजली सामान्य उत्पादन की तुलना में काफी महंगी होती है.जानकारों का मानना है कि यदि यह स्थिति लंबी चली तो भविष्य में उपभोक्ताओं पर दर बढ़ोतरी का असर दिख सकता है.
ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने कहा उत्पादन कम होने का मुख्य कारण ठंड के कारण उत्पन्न तकनीकी दिक्कतें हैं. कई इकाइयों में अचानक आई तकनीकी समस्याओं के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है. हम सभी यूनिटों की मरम्मत और रखरखाव तेजी से करवा रहे हैं. सप्लाई बाधित न हो इसके लिए वैकल्पिक स्रोतों से बिजली खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अगले कुछ दिनों में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है. विभाग का दावा है कि महत्वपूर्ण जिलों में सप्लाई बाधित न हो इसके लिए प्राथमिकता सूची बनाई गई है. औद्योगिक फीडरों पर कटौती को न्यूनतम रखने और घरेलू उपभोक्ताओं को निर्धारित समय तक बिजली उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
बता दें सर्दियों के मौसम में उत्तराखंड में 5.5 करोड़ यूनिट तक डिमांड पहुंच जाती है. वर्तमान में करीब 4 करोड़ यूनिट डिमांड में चल रही है. लगभग 20 लाख यूनिट अभी फिलहाल कम है. उधर वर्तमान में यूजीवीएनएल के उत्पादन की बात करें तो लगभग 90 लाख यूनिट तक आ गया है. अन्य दिनों में या यह कहीं सर्दियों से पहले उत्पादन दो करोड़ यूनिट से ज्यादा रहता है. इसके साथ ही केंद्रीय पूल से भी राज्य को 1.3 करोड़ यूनिट मिल रही है.
ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जिसने जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी बनाई है. इसी के आधार पर केंद्र सरकार भी आगे काम कर रही है. हम चाहते हैं कि ग्रीन ऊर्जा के ऐसे स्त्रोत उत्पन्न किए जाएं जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहे. हम इस दिशा में और भी बेहतर काम आगे कर रहे हैं. मीनाक्षी सुंदरम देहरादून में आयोजित छठे अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महोत्सव के कार्यक्रम में बोल रहे थे.
