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डिजिटल अरेस्ट और फर्जी NBW मामले में RBI और टेलीकॉम कंपनियां बनीं पक्षकार, HC के आदेश पर बनी एसओपी 

नैनीताल: हरिद्वार के साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के साथ फर्जी गैर जमानती वारंट मामले पर उत्तराखंड हाईकोर्ट की सख्ती के बाद उत्तराखंड साइबर क्राइम कंट्रोल पुलिस ने झटपट एसओपी बना दी है. हाईकोर्ट ने इस एसओपी को प्रदेश के हर थाने में सर्कुलेट करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही आज हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने आरबीआई, टेलीकॉम कंपनियों और मिनिस्ट्री ऑफ टेलीकॉम से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है.

हरिद्वार डिजिटल अरेस्ट और फर्जी एनबीडब्ल्यू मामले की सुनवाई: दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़े एक ठगी और फर्जी गैर जमानती वारंट के मामले में हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार की याचिका को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करते हुए सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने पूर्व के आदेश पर रिजर्व बैंक आफ इंडिया, टेलीकॉम कम्पनियों, मिनिस्ट्री ऑफ टेलीकॉम और राज्य में संचालित प्राइवेट बैंकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने तीन सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.

आरबीआई और टेलीकॉम कंपनियों को बनाया गया पक्षकार: पिछली तिथि 27 अगस्त की सुनवाई पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि आरबीआई, अन्य बैंक और टेलीकॉम कंपनियों को पक्षकार बनाया जाए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एसओपी बनाने का आदेश भी दिया था. आज ये सभी पक्षकार बनाये गए. कोर्ट ने उसे स्वीकार करते हुए इनको नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिये हैं. कोर्ट में आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एसएसपी साइबर क्राइम कंट्रोल और आईजी क्राइम कंट्रोल पेश हुए. उनके द्वारा कोर्ट को अवगत कराया कि साइबर क्राइम को रोकने के लिए विभाग ने एसओपी जारी कर दी है. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इसे प्रदेश के हर थाने में सर्कुलेट करें. साथ ही जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि आमजन को फर्जी काल और मैसेज का शिकार न होना पड़े.

ये था पूरा मामला: मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि करीब एक माह पूर्व दो अलग अलग फोन नम्बरों से उन्हें फोन कर अपर जिला जज देहरादून की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने और 30 हजार रुपये तुरन्त जमा करने को कहा गया. इस राशि को जमा करने के लिये जिला देहरादून के नाम सहित 4 अन्य स्कैनर भी दिए गए. याचिकाकर्ता के अनुसार इस फर्जी फोन कॉल्स और स्कैनर की जानकारी हरिद्वार पुलिस को दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस कारण उन्हें हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी.

बढ़ गए हैं साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के मामले: इधर आये दिन फर्जी फोन कॉल के जरिये लोगों के डिजिटल अरेस्ट की खबरों और इस घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सुनने का निर्णय लिया है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सहित अन्य बैंकों, समस्त दूरसंचार कंपनियों को इस मामले में पक्षकार बनाया गया है.

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