
इस पूरे मामले पर देहरादून आरटीओ संदीप सैनी का कहना है कि जब तक बकायादार जुर्माने के साथ पूरी धनराशि जमा नहीं करते है, तब तक उनको आरटीओ विभाग से एनओसी नहीं मिलेगी. बता दें कि परिवहन विभाग इन दिनों बकायेदारों से टैक्स वसूली का काम कर रहा है. इस दौरान सामने आया है कि 22 हजार स्वामी ऐसे हैं, जिन पर करीब 50 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है.
देहरादून आरटीओ संदीप सैनी के मुताबिक परिवहन विभाग ने टैक्स बकाया वसूली को लेकर रिकवरी सर्टिफिकेट यानी आरसी काटी थी, लेकिन आरसी परिवहन विभाग के पास वापस आ गई है. क्योंकि वाहन पंजीकरण के लिए निवास स्थान का जो पता परिवहन विभाग में दर्ज कराया गया था, अब वहां वाहन स्वामी रहता ही नहीं है. यानि टैक्स चोरी के लिए लोगों ने अपने वाहनों के पंजीकरण गलत पते पर कराए हुए थे या फिर बकायेदार की मृत्यु हो चुकी है. अब परिवहन विभाग के कर्मचारी उनकी तलाश में भटक रहे हैं.
आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि देहरादून संभाग में 22 हजार बकायादारों की गाड़ियों पर फोकस किया जा रहा है. इनको विभाग ने अलग-अलग कैटिगरी में बांटा है. जैसे साल 2012 पहले का बकाया था. 2012 से 2022 तक और 2022 से अब तक की बकाया टैक्स की गाड़िया है. इन्ही में ही आरटीओ विभाग फोकस कर रहे है. उनको नोटिस दिया जा रहा है और उनकी रिकवरी काटी जा रही है.
आरटीओ संदीप सैनी ने बताया कि बड़े बकायादारों के घर विभाग की टीम भी जा रही है. साथ ही विभाग में अलग-अलग टीम बनाई गई है, जो बकायादारों से फोन पर वार्ता कर रही है. साथ ही बहुत सारे लोग ऐसे भी है, जिनकी गाड़िया खत्म हो चुकी है. उनको ऐसा लगता है कि अब टैक्स नहीं देना है, लेकिन ऐसा नहीं है.य आरटीओ विभाग में अकाउंट बन्द कराना होगा. तभी टैक्स का मीटर खत्म होता है, जिससे आगे भविष्य में विभाग द्वारा नोटिस नहीं भेजा जाएगा. देहरादून संभाग में 22 हजार बकाया गाड़ियों का करीब 50 करोड़ रुपए बकाया है.
देहरादून: परिवहन विभाग को पिछले कई सालों ने करीब 22 हजार कमर्शियल वाहनों के बकायादारों ने चुना लगा रखा है. ऐसे कमर्शियल वाहनों चालकों का करीब 50 करोड़ रुपए का बकाया है. वही अब आरटीओ ने अपनी बकाया धनराशि को वसूलने के लिए अलग-अलग स्लैप से अभियान शुरू कर दिया है. ये आंकड़ा केवल देहरादून संभाग का है.
उत्तराखंड परिवहन विभाग ने टैक्स बकायेदारों की खोजबीन शुरू की तो पता चला कि 22 हजार वाहन स्वामी गायब हो गए और विभाग को 50 करोड़ रुपए का चूना लगा गए. साथ ही जानकारी करने पर पता चला कि कई वाहन 15 साल से अधिक पुराने है और वह खत्म हो चुके है. बकायादारों ने उन वाहनों का भी टैक्स भी जमा नहीं किया है.