उत्तराखंड एससी एसटी फेडरेशन के अध्यक्ष करमराम ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड शोध एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के कुलपति पर अपने पद का दुरुपयोग और विश्वविद्यालय के नियमों को ताक पर रखते हुए रोस्टर से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। फेडरेशन के अध्यक्ष करम राम ने कहा कि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2020 में 66 पदों पर नियुक्तियां जारी की थी इन सभी नियुक्तियों पर भर्ती कराये जाने के बजाय कुलपति परविंदर कौशल ने अपनी मनमानी और चहितो को लाभ पहुचने के लिए इसको खत्म करते हुए नए सिरे से इस वर्ष 2023 में 88 पदों पर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी, आरोप है की आखिर आरक्षित वर्ग की सीटों को कम करने और रोस्टर के साथ छेड़छाड़ करने का हक कुलपति परवेंद्र कौसल को किसने दिया।
वही एससी एसटी फेडरेशन के अध्यक्ष करमराम ने इस मामले को उजागर करते हुए कहा कि इस पूरे मामले की सरकार संज्ञान लेते हुए जांच करें, और विश्वविद्यालय 2023 की भर्ती को रद्द करते हुए 2020 की पुरानी भर्ती प्रक्रिया को शुरू करे।
अभी कुछ समय पहले राज्य में यूकेएसएससी में बड़े स्तर पर भर्ती घोटालों के सरगना हाकम सिंह सहित कई लोगों का एसटीएफ ने पर्दा फास करते हुए 16 आरोपियों को जेल भेजा था लेकिन अभी भी घोटालेबाज सुधारने का नाम नही ले रे,और सरकार ने भर्तियों में परदर्शता रखी जाने के शक्त आदेश दिए। बाबजूद इसके उत्तराखंड में भर्ती घोटालों का सिलसिला रुकने का नाम नही ले रहा, लगातार भर्तीयों पर धांधली और अपने चहितो को नौकरी देने के नाम पर यहाँ के युवाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वही इस मामले पर विश्वविद्यालय के रजिस्टर एसपी सती का कहना है कि रोस्टर से कोई छेड़खानी नहीं की गई है, उन्होंने बताया कि राज्य एससी एसटी आयोग ने भी विष्वविद्यालय से जवाब मांगा था, उन्होंने अपना जवाब भी आयोग को दे दिया हालांकि अभी आयोग भी विश्वविद्यालय के जवाब से संतुष्ट नही है। साथ ही रजिस्टर ने कहा कि अगर कार्मिक विभाग से उनको संसोधन के लिए कहा जाता है तो उसपर विश्वविद्यालय विचार करेगा।
इस मामले में उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि रोस्टर से छेड़खानी करना यह किसी भी विश्वविद्यालय को अधिकार नहीं है और ना ही भर्ती को रद्दी की टोकरी में डालना, उन्होंने सरकार से मांग की है कि विश्वविद्यालय भरसार की इन नई भर्तियों की जांच की जाए। और दोषियों पर कार्यवाही की जाय।