घर से काम के लिए निकले एक मजदूर की लाश मोर्चरी में पड़ी थी। उधर, पति की तलाश में महिला भटक रही थी। थाने-चौकियों के चक्कर काट रही थी। आईएसबीटी चौकी को तस्वीर भी दिखाई, लेकिन पुलिस ने मोर्चरी तक जाने की जहमत नहीं उठाई। लाश उसी दिन आईएसबीटी फ्लाईओवर के नीचे से बरामद की गई थी।
किसी पुलिसकर्मी ने फोटो से मिलान करने की भी कोशिश नहीं की और तीन दिन बाद लाश का अज्ञात में अंतिम संस्कार कर दिया। उस दिन लाश का फोटो चौकी के बोर्ड पर टंगा था। परिजन वहां पहुंचे तो देखकर पहचान कर ली। पता चला कि अब तो अंतिम संस्कार भी हो गया है। परिजनों ने पुलिस की इस कार्यशैली पर सवाल उठाए तो उन्हें चुप करा दिया गया। अब पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया है।
मामला पटेलनगर थाने की आईएसबीटी चौकी का है। चौकी पुलिस को गत नौ सितंबर को 45 वर्षीय व्यक्ति की लाश आईएसबीटी फ्लाईओवर के नीचे से मिली थी। लाश पर चोट के निशान उजागर नहीं थे। पुलिस ने उसका अज्ञात में पंचनामा भर दिया और शव मोर्चरी में रख दिया। उसी दिन प्रेमनगर के श्यामपुर निवासी महिला बबीता अपने बेटे को लेकर पति हरगोविंद की तलाश में पहुंची। उन्होंने चौकी के एक कर्मचारी को हरगोविंद का फोटो दिखाया। कर्मचारियों ने यह फोटो अपने पास रख लिया, लेकिन उस दिन मिली लाश से पहचान करने की कोशिश नहीं की। अगले दिन 10 सितंबर को लाश का पोस्टमार्टम कराया गया। अगले 72 घंटे तक पहचान का इंतजार किया गया और 12 सितंबर को अंतिम संस्कार अज्ञात में ही कर दिया।
अब 12 सितंबर को बबीता और उनका बेटा फिर आईएसबीटी चौकी पहुंचे। यहां बोर्ड पर नौ सितंबर को मिली लाश का फोटो लगा हुआ था। बबीता ने उनकी पहचान हरगोविंद के रूप में कर ली। उन्होंने सवाल उठाया कि जब वे नौ सितंबर को आए थे तो उन्हें इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई? इस पर चौकी पर मौजूद कर्मचारी बगलें झांकने लगे। किसी के पास कोई जवाब नहीं था।