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“देहरादून में आतिशबाजी की बेहद खतरनाक खिलाड़ी: प्रशासन को है हादसे का इंतजार”

पूरे देश में दिवाली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है खास करके अगर बात करें आतिशबाजी की इसके लिए प्रशासन के द्वारा एक नियमावली के तहत गाइडलाइंस जारी की जाती है।और आतिशबाजी बेचने के लिए बाकायदा जिलाधिकारी कार्यालय से लाइसेंस लेना जरूरी होता है। परंतु आज उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का यह हाल है कि रियासी इलाकों में जहां की गलियां तंग है और कोई भी फायर की गाड़ी अंदर तक नहीं जा सकती। वहां पर बड़े-बड़े दुकानों पर आतिशबाजी सज गई है ।और धडल्ले से बेची जा रही है ऐसा नहीं है कि प्रशासन को नहीं मालूम परंतु सेटिंग गैटिंग की बात हो तो सब चलता है बात करें मोती बाजार जहां पर कोतवाली सदर पलटन बाजार में मौजूद है उसके ठीक सामने गली में आतिशबाजी की दुकानें सज गई वहीं दूसरी ओर अखाड़ा बाजार तिलक रोड पर घर से ही बहुत बड़े पैमाने पर पटाखे बेची जा रही है यदि कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा लगता है प्रशासन मौन होकर किसी हादसे का इंतजार कर रहा है मोती बाजार में चिराग के नाम से जगह-जगह बैनर भी चिपकाए हुए हैं तो क्या माने की प्रशासन को नहीं पता लगता है बड़े पैमाने पर सेटिंग गेटिंग का खेल खेला जा रहा है आम आदमी से सरकार को कोई सरोकार नहीं है
हादसा होने के बाद केवल जांच की बात कहकर मामले को दबा दिया जाएगा।
वंही जिलाधिकारी का कहना है कि इसके लिए बाकायदा एक गाइडलाइन जारी की हुई है।और अभी हमारे विभाग द्वारा किसी को लाइसेंस नहीं दिए गए हैं। यदि कोई बिना लाइसेंस के बेचते हुए पाया गया तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। और जो हमारे एक्ट और मानक है। उसके हिसाब से चला जाएगा।जो इसके विरुद्ध जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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