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राजकीय शिक्षक संगठन ने चुनाव बहिष्कार का किया एलान , वजह जान कर हो जायेंगे हैरान

उत्तराखंड में सभी राजनीतिक दल एक तरफ जहां चुनाव की तैयारी में लगे हुई है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय शिक्षक संगठन ने लोकसभा चुनाव में मतदान बहिष्कार का ऐलान किया है, क्यों शिक्षक और उनके परिजन मतदान का बहिष्कार का कर रहे है देखिए ये रिपार्ट।उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संगठन के द्वारा ऐलान किया गया है,कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती है, तो लोकसभा चुनाव में शिक्षक और उनके परिजन और रिश्तेदार लोकसभा चुनाव में मतदान को लेकर बहिष्कार करेंगे,राजकीय शिक्षक संगठन अपनी मांगों को लेकर पिछले एक महीने से सड़कों पर है, वही सरकार पर शिक्षकों की मांगों को लेकर कोई फर्क पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है, यही वजह है कि शिक्षकों के द्वारा लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किए जाने का ऐलान किया गया है,राजकीय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष राम सिंह चौहान का कहना है कि शिक्षा मंत्री के द्वारा शिक्षकों की मांगों को लेकर जो आश्वासन दिया गया था, वह आदेशों में तब्दील नहीं हुई है,जिसके बाद शिक्षकों में आक्रोश देखने को मिल रहा है, इसलिए संगठन के द्वारा 6 नवंबर को शिक्षा निदेशालय में तालाबंदी की जाएगी और सामूहिक रूप से शिक्षक लोकसभा चुनाव में मतदान न करने को लेकर संकल्प लेंगे। शिक्षकों के मतदान बहिष्कार किए जाने के ऐलान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है, कि भाजपा की सरकार में कर्मचारियों की मांगों का समाधान हुआ है, यही वजह है कि अब उत्तराखंड में कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन देखे नहीं जाते हैं,जहां तक शिक्षकों की मांग की बात है तो उनको भी पूरा किया जाएगा,लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा कई बार देखने को मिलता है कि चुनाव के समय कर्मचारी संगठन सरकार पर दबाव बनाने का भी काम करते हैं, शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के द्वारा शिक्षक संगठनों के साथ 4 अगस्त को बैठक की गई और उसमें कई मांगों को पूरा करने का आश्वासन शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के द्वारा दिया गया, उन मांगों को पूरा न होने को लेकर शिक्षकों में आक्रोश है और अब वह सरकार पर दबाव बनाने को लेकर रणनीति बनाते हुए नजर आ रहे हैं,ऐसे में देखना यही होगा कि लोकसभा चुनाव बहिष्कार को लेकर जो चाल राजकीय शिक्षक संगठन के द्वारा चली गई है,उससे सरकार कितनी असहज नजर आती है, और लोकसभा चुनाव को देखते हुए क्या शिक्षकों की मांगे मानी जाती है और यदि नहीं मानी जाती है तो क्या वास्तव में शिक्षक लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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