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गंगा नदी में खनन के विरोध में उतरे मातृ सदन के संत,किया धरना

सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश की वार्षिक गंगा बंदी के दौरान किये जा रहे कार्य और गंगा से पोकलैंड और जेसीबी से खनिज सामग्री निकाले जाने के खिलाफ मातृ सदन के संतों ने हंगामा कर दिया. संतों ने धरना देकर खनन कार्य को बंद करवा दिया. सिचाई विभाग द्वारा गंगनहर के स्केप चैनल में मलबा हटाने के लिए पोकलैंड मशीन और जेसीबी को लगाया गया था.

गंगा में खनन के विरोध में उतरे मातृ सदन के संत: जैसे ही मातृ सदन के संतों ने ये देखा वो आंदोलन पर उतर गए. गंगा के लिए आंदोलन करने वाले मातृ सदन के संतों ने मौके पर पहुंच कर गंगा के स्केप चैनल से पोकलैंड मशीनें ओर डम्पर हटाने की मांग की. संतों के करीब दो घंटे तक घाट पर धरने पर बैठेने के बाद सिंचाई विभाग यूपी के एसडीओ मौके पर पहुंचे. इस दौरान संतों और अधिकारी के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई. फिलहाल मौके पर कार्य बंदकर दिया गया है.

यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा नियमतः परमिशन के साथ कार्य किया जा रहा है. स्केप चैनल में जमा सामग्री को निकाला जा रहा है. संतों ने हाईकोर्ट का आदेश उपलब्ध करवाया है. उसको देखने के बाद निर्णय किया जाएगा. संत हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इस काम को गलत बता रहे हैं. काम नहीं रोके जाने पर इस मामले को कोर्ट ले जाने की बात कह रहे हैं.

खनन का आरोप लगाकर संतों ने दिया धरना: मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद का कहना है कि सब जानते हैं कि उत्तराखंड बनने के बाद गंगा के लिए अभिशाप हुआ है. तमाम मुख्यमंत्रियों ने भी खनन को लेकर लापरवाही दिखाई है. आज खुलेआम गंगा को खत्म किया जा रहा है. डंपर लाकर यहां से खनन किया जा रहा है. यदि पूछा जाता है तो गोल-गोल जवाब मिल रहा है. मैंने अधिकारियों को स्पष्ट कह दिया है कि जो माल गंगा से बाहर निकल गया है, उसको वापस गंगा में डलवाएंगे. नहीं मानेंगे तो 18 तारीख को हाईकोर्ट में डेट है. सबको कोर्ट ले जाएंगे. मुझको अलग से कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा. हमारी सुनवाई वहां 45 मिनट से 1 घंटा तक होती है. अलग से बेंच बनी हुई है, उसी में लेकर जाएंगे, लेकिन गंगा में खनन नहीं होने देंगे.

यूपी सिंचाई विभाग के एई ने क्या कहा: वहीं सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश हेड वर्क के सहायक अभियंता अनिल कुमार निवेश का कहना है कि हमारा यह मायापुर स्केप चैनल है. जो नहर चलती है उसके एक्स्ट्रा पानी को हम इसके माध्यम से वापस गंगा में ही छोड़ देते हैं. इसका एक प्रोजेक्ट मायापुर प्रोजेक्ट एस्केप चैनल का 1.5 किमी का है. इसके हेड में जो पदार्थ इकट्ठा हो जाता है, उसको क्लियर करते हैं. बाहर निकालने का और रेलिंग लगाने का प्रोजेक्ट है. इसके साथ ही एक सिल्ट इजेक्टर और है 2.2 किलोमीटर का. उसमें भी यही हमारा प्रोविजन है. संतों का यह कहना है कि हाईकोर्ट का कोई स्टे है. 

यूपी सिंचाई विभाग ने निकाला ऑनलाइन टेंडर: इसका गवर्नमेंट की तरफ से प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है. उसके बाद हमारा ऑनलाइन टेंडर हुआ है. जो क्वालीफाई करता है, कॉन्ट्रैक्ट उसको दिया जाता है. यह टेंडर लगभग 2.5 करोड़ के हैं. इसमें मायापुर स्केप और सिल्ट इंजेक्टर दोनों शामिल हैं. इसके अलावा वीआईपी घाट का रिनोवेशन हो रहा है. भीमगोड़ा बैराज की सीलिंग चेंज हो रही है. सिल्ट इजेक्टर है और मायापुर स्केप चैनल है और हमारे इसके अलावा अन्य जो भी डैमेज वर्क है, सारे किए जा रहे हैं. यह सारे काम 30 तारीख तक पूरे कर लिए जाएंगे. सामग्री जो निकल रही है, वह सब यहीं पर 200 मीटर के दायरे में लगातार एकत्र की जा रही है. कोई खनन नहीं हो रहा है.

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