मामला क़ृषि उत्पादन विपणन बोर्ड का है जहाँ एक सेवानिर्वित हो चुके कर्मी ने सचिवालय देहरादून में अपनी सेवा अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन किया है बता दें यह कर्मी 31 मई को सेवानिर्वित्त हो गया था जबकि अपनी सेवा अवधि को 2 वर्ष और बढ़ाने के लिए कर्मी द्वारा आवेदन किया गया है
अब यदि हर सेवानिर्वित होने वाला कर्मी इस तरह आवेदन कर अपनी सरकारी सेवा को बढ़ाने का काम करेगा तो उत्तराखंड के सेवयोजन कार्यालय में जो 883346 बेरोज़गार युवा पंजीकृत हैँ उन्हें किस तरह से रोज़गार मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है
हालांकि ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि किसी कारणवश अधिकारीयों को सेवा विस्तार ज़रूर दिया जाता है जैसे पूर्व मुख्य सचिव एसएस संधू को भी केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सेवा विस्तार दिया गया था
हालांकि सचिवालय को भेजे गए इस पत्र में यह बात साफ तौर देखी जा सकती है कि उत्तराखंड क़ृषि उत्पादन विपणन बोर्ड के पास कार्मिकों की कमी होने के कारण सेवाविस्तार के लिए आग्रह किया गया है
अब यह एक बड़ा सवाल है कि यदि बोर्ड के पास कार्मिकों की कमी है तो संविदा पर ही सही कार्मिकों को आखिर क्यूँ नहीं रखा गया और क्या ऐसी मजबूरी है जो सेवानिर्वित्त होने वाले अफसरों की पैरवी करते हुए बोर्ड के अधिकारी सेवाविस्तार के लिए आग्रह कर रहे हैँ
उत्तराखण्ड में राज्य के बेजोरगार युवाओं के भविष्य के साथ कैसा खिलवाड किया जा रहा है इसका उदाहरण मण्डी परिषद से 31 मई 2024 को कनिष्ठ अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए कर्मी उमेश चन्द्र श्रीवास्तव के लिए शासन प्रशासन के बैक डेट के पत्राचार के आधार पर किये जा रहे प्रयासो से लगया जा सकता है। इससे साबित होता है कि इस राज्य में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हैं। जो व्यक्ति एक माह पूर्व सेवानिवृत हो गया है उसे पुर्ननियुक्ति या संविदा के आधार पर कैसे नियुक्त किया जा सकता है इसके पीछे बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का खेल चलने की आशंका जताई जा रही है