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पिरूल बन सकता है आजीविका का जरिया ,वैज्ञानिक करेंगे पत्तियों को “ईंटों”में तब्दील

पिरूल लोगों की आजीविका का जरिया बन रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जंगल में पिरूल को एकत्र कर इसकी बिक्री के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर रहा है।

जंगलों में आग का बड़ा कारण बनने वाली पिरूल (चीड़ की पत्तियां) अब आईआईटी वैज्ञानिकों की ओर से तैयार की गई मशीन के जरिये आजीविका का साधन बन सकती हैं। बेहद सस्ते में तैयार होने वाली इस मशीन से पिरूल को कंप्रेस्ड कर ईंटों में परिवर्तित किया जाता है।

इसके बाद इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर बिक्री करना और ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना आसान हो गया है। इसका सफल प्रयोग उत्तराखंड के दो गांवों के बाद जम्मू-कश्मीर के जंगलाें में किया जा रहा है। जहां पिरूल लोगों की आजीविका का जरिया बन रहा है।बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जंगल में पिरूल को एकत्र कर इसकी बिक्री के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर रहा है। एप के जरिये पिरूल खरीदने की योजना भी बनाई गई है। ताकि हाथोंहाथ पिरूल का भुगतान उनके खातों में जारी किया जा सके। लेकिन एक तो पिरूल को इकट्ठा करना और इन्हें बेचने के लिए ले जाना कठिन काम है।

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