उत्तराखंड में सख्त भू कानून और 1950 के मूल निवास अधिकार को लागू करने की मांग को लेकर प्रदेश के विभिन्न संगठनों और कई राजनीतिक दलों की ओर से आंदोलन किया जा रहा है। इसको लेकर राजनीतिक दलों की ओर से तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। हालांकि इसके लिए पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित काम कर रही है। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के विधायकों और नेताओं की ही इस मामले में अलग- अलग राय है। लैंसडाउन से भाजपा विधायक महंत दिलीप रावत का कहना है कि अगर प्रदेश के हित के लिए जरूरी है तो इसके लिए नियम बनाना चाहिए। महंत दिलीप रावत ने इस मुद्दे को लेकर काम कांग्रेस पर हमला बोला है और कहां है कि कांग्रेस के जितने नेता हैं उतनी ही तरह की बातें भी कर रहे हैं कांग्रेस को पहले साफ करना चाहिए कि वह इस विषय में क्या चाहते हैं। वहीं दूसरी और पूर्व विधायक राजेश शुक्ला का कहना है कि जब राज्य का गठन ही सन 2000 के बाद हुआ है तो 1950 के मूल निवास को कैसे मान जाए।