उत्तराखंड शासन मे इस वक्त भ्रष्टाचार का बड़ा खेल चल रहा है, शासन स्तर से दो बार अस्वीकार किये जाने के बावजूद आखिर ऐसा क्या है कि एक जेई की पुर्ननियुक्ति/ संविदा नियुक्ति के लिये मण्डी बोर्ड द्वारा पूरी शक्ति लगाई जा रही है।
मण्डी बोर्ड से उमेश चन्द्र श्रीवास्तव 31 मई 2024 को सेवानिवृत हो चुके हैं हालांकि अभी भी बैक डेट में इनके पुर्ननियुक्ति/ संविदा पर रखे जाने के लिए शासन पत्र प्रेषित किये जा रहें हैं। शासन द्वारा मण्डी बोर्ड के पत्र संख्या 162 दिनांक 16/04/2024 के क्रम में शासनादेश पत्र संख्या 25VIP दिनांक 01 जुलाई 2024 के द्वारा मण्डी बोर्ड से प्रस्ताव मांगा गया तथा मण्डी बोर्ड द्वारा बिना देर किए पत्र संख्या 662 दिनांक 02/07/2024 द्वारा श्रीवास्तव की नियुक्ति का प्रस्ताव शासन भेज दिया गया वो तो आज शासन में सचिव कृषि बदल गये नहीं तो हो सकता है कि आज सांय काल तक पुर्ननियुक्ति के लिए शासनादेश भी जारी हो गया होता।
आखिर कहां जायें इस राज्य के बेरोजगार युवा तथा जांच हो कि आखिर सेवानिवृत हुए जेई श्रीवास्तव में ऐसी कौन सी विशेषता है कि मण्डी बोर्ड ने इनकी पुर्ननियुक्ति के लिए पुरी पूरी शक्ति लगा रखी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मण्डी बोर्ड से वर्ष 2020 से 2023 तक दो उप महा प्रबन्धक तकनीकी तथा दो सहायक अभियन्ता सेवा निवृत हो चुकें हैं किन्तु मण्डी बोर्ड को इन उच्च पदस्थ अभियन्ताओं की पुर्ननियुक्ति की आवश्यकता नहीं महसूस हुई। जबकि सेवा में रहते हुए उमेश चन्द्र श्रीवास्त की नियुक्ति को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश 16 दिसम्बर 2006 तथा उत्तराखण्ड शासन में डा. निधि पाण्डेय IAS की जांच रिपोर्ट 31.1.2012 द्वारा अवैध ठहराया जा चुका था किन्नु यह अपने इसी प्रकार के प्रभाव से सेवा पुरी कर अब सेवानिवृति के बाद भी पुर्ननियुक्ति के लिए प्रयासरत हैं जो कि गंभीर मामला है इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए।