उत्तराखंड के इस गांव में रोड ना होने से युवाओं की नहीं हो पा रही शादी, सिस्टम की लाचारी पड़ रही भारी

चमोली: उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश से अलग हुए 25 साल भले ही पूरे हो चुके हो, लेकिन आज भी चमोली जिले में नारायणबगड़ विकासखंड के ग्राम पंचायत किमोली का बारकोट गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाया है. गांव तक सड़क नहीं पहुंचने से यहां के युवक-युवतियों के लिए बड़ी समस्या पैदा हो गई है. हालात इतने खराब है कि युवाओं की शादी नहीं हो पा रही है. लेकिन जब रिश्ते वाले घर देखने पहुंच रहे हैं तो सड़क नहीं होने से शादी के लिए मना कर दे रहे हैं. यह पीड़ा ग्राम वासियों व उन माता-पिता की है, जिनके बच्चे शादी लायक हो गए हैं. ग्रामीण संपन्न होने के बावजूद भी शादियां नहीं हो पा रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सिस्टम की लाचारी लोगों पर भारी पड़ रही है.
नारायबगड से किमोली से सड़क दिवाली खाल गैरसैंण तक पहुंच चुकी है, लेकिन विकासखंड के बारकोट गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है. ग्राम प्रधान किमोली सुरेंद्र लाल का कहना है कि साल 2019 से ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन एवं मुख्यमंत्री समेत क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि को सड़क मांग को लेकर ज्ञापन भी दे चुके हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान ज्ञापन दिया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. गांव में सड़क सुविधा नहीं होने से गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और मरीज को डंडी कंडी के सहारे सड़क मार्ग तक पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर पैदल दूरी नापनी पड़ती है.
ग्राम प्रधान का कहना है कि अगर गांव सड़क मार्ग से जुड़ा होता तो बुनियादी सुविधाओं का अभाव नहीं होता. सड़क मार्ग नहीं होने से यहां के नौजवानों व लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही है. शादी तय हो रही है, लड़की या लड़के वाले जब घर देखने आ रहे हैं तो वह पैदल रास्ता तय कर थक जा रहे हैं. गांव तक सड़क नहीं होने के कारण लोग शादी के लिए मना कर दे रहे हैं. थराली विधायक भूपाल राम टम्टा का कहना है. सड़क स्वीकृत हो चुकी है, पीएमजीएसवाई के द्वारा सड़क बननी है, सड़क की डीपीआर बन रही है.
बता दें कि उत्तराखंड में सरकार हर गांव को संपर्क मार्ग से जोड़ने का दावा तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है. प्रदेश में कई ग्रामीण अंचल ऐसे हैं जहां आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. गांव तक सड़क ना होने से गर्भवती महिलाओं, बीमार लोगों को डंडी कंडी के सहारे रोड तक पहुंचाया जाता है. कई गंभीर मरीज रास्ते में दम तोड़ देते हैं. जिसकी बानगी अक्सर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में देखने को मिलती रहती है.
