उत्तराखंड में दशहरा पर्व की सिल्वर जुबली, गुजरात का कपड़ा और असम-बिहार के बांस से तैयार हो रहे पुतले

देहरादून: गणेश उत्सव संपन्न होने के बाद इन दिनों नवरात्रि और दशहरे की तैयारी तेज हो गई है. जगह-जगह पर माता दुर्गा की मूर्तियां बनाई जा रही हैं तो वहीं कुछ स्थानों पर दशहरा पर्व को लेकर रावण का पुतला बनाया जा रहा है. ऐसे में आगामी दशहरा पर्व पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला तैयार किया जा रहा है. खास बात ये है कि असम- बिहार के बांस और गुजरात से मनाए गए कपड़े से पुतला तैयार किया जा रहा है. राज्य गठन के बाद से ही तमाम समिति के लोग बड़े स्तर पर दशहरा पर्व का आयोजन करते रहे हैं. ऐसे में इस साल दशहरा पर सिल्वर जुबली के रूप में भी बनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं.

देश भर में हर साल बड़े स्तर पर दशहरा पर्व का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. इसी क्रम में उत्तराखंड राज्य में भी तमाम स्थानों पर बड़े ही धूम धाम से दशहरा पर्व का आयोजन किया जाता है. ऐसे में देहरादून की श्री सेवा कुल समिति की ओर से पटेलनगर में दशहरा पर्व का आयोजन होने जा रहा है. ये समिति राज्य गठन के बाद से देहरादून के पटेल नगर में दशहरा पर्व का आयोजन कर रही है. ऐसे में इस साल ये समिति सिल्वर जुबली के रूप में भव्य रूप में कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है. जिसके तहत न सिर्फ बृहद स्तर पर आतिशबाजी की जाएगी. बल्कि पंजाब के जाने माने सिंगर दीपक भी अपनी पूरी टीम के साथ कार्यक्रम में शामिल होंगे.
65 से 70 फीट लंबा रावण का पुतला: वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए श्री सेवा कुल समिति के सदस्य पंकज चांदना ने कहा कि उनकी समिति पिछले 25 सालों से दशहरा पर्व का आयोजन कर रही है. इस दशहरा पर्व को सिल्वर जुबली के रूप में भव्य रूप से मनाया जाएगा. इस दशहरा पर्व में बड़े स्तर पर आतिशबाजी करने के साथ ही पंजाब के जाने माने सिंगर दीपक भी अपनी टीम के साथ आ रहे हैं, जो अपने गीतों को लोगों को सुनाएंगे. दशहरा पर्व का कार्यक्रम पटेल नगर स्थित शिवालिक इंटरनेशन स्कूल के ग्राउंड में आयोजित किया जाएगा. इस ग्राउंड में 65 से 70 फीट लंबा रावण का पुतला दहन किया जाएगा.
3 महीने पहले शुरू हो जाता है पुतला बनाने का काम: वहीं, मुजफ्फरनगर के रहने वाले कारीगर शाहनवाज ने बताया कि वो पिछले 25 सालों से देहरादून में पुतला बनाने का काम कर रहे हैं. पुतला बनाने के लिए दशहरा पर्व से करीब दो महीने पहले ही देहरादून आ जाते हैं. देहरादून आने से एक महीने पहले ही मुजफ्फरनगर में पुतला बनाने का काम शुरू कर देते हैं. वहां एक महीना काम करने के बाद फिर देहरादून आकर, यहां पुतला बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. देहरादून में पिछले 25 सालों से काम कर रहे हैं लेकिन उनका परिवार पिछले 70 सालों से पुतला बनाने का काम कर रहा है.

असर और बिहार के बांस से तैयार होते हैं पुतले: साथ ही बताया कि देहरादून में इनकी 15 से 20 कारीगरों की टीम है, जो पुतला तैयार करती है. शाहनवाज ने बताया कि असम और बिहार के बांस से पुतले तैयार किए जा रहे हैं. क्योंकि देहरादून या अन्य जगहों पर मिलने वाले बांस से कलाकारी बेहतर ढंग से नहीं हो पाती है. जबकि असम और बिहार के बांस से कलाकारी करना काफी बेहतर होता है. इससे पुतला काफी अच्छा तैयार होता है. रावण का ड्रेस तैयार करने के लिए ओरिजिनल कपड़ा सूरत से मंगवाया जाता है. साथ ही कहा कि वो और उनके कारीगर रोजाना सिर्फ 6 घंटे सोते हैं. बाकी समय काम करते हैं. यही नहीं, देहरादून के साथ ही टिहरी के लिए भी यही पुतला तैयार किया जाता है.
