जल्द नये लुक में नजर आएगी उत्तराखंड एसडीआरएफ, बदलेगी वर्दी, मिलेंगे हाईटेक उपकरण

देहरादून: उत्तराखंड एसडीआरएफ जल्द ही नये लुक में नजर आने वाली है. आने वाले दिनों में एसडीआरएफ की यूनिफॉर्म बदलने वाली है. इसके साथ ही एसडीआरएफ को हाईटेक उपकरणों से लैस करने की तैयारी की जा रही है. एसडीआरएफ की नई ऑपरेशनल यूनिफॉर्म और हाई-टेक उपकरणों की खरीद प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी.
प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों में एसडीआरएफ को और सक्षम बनाने के लिए नई ऑपरेशनल यूनिफॉर्म तैयार की जा रही है. यह यूनिफॉर्म न सिर्फ अनुशासन और पहचान का प्रतीक होगी, बल्कि आपदा जैसी विषम परिस्थितियों में भी व्यावहारिक साबित होगी. नई ड्रेस इस तरह डिजाइन होगी जिसमें छोटे-बड़े रेस्क्यू उपकरण रखे जा सकेंगे. साथ ही इसमें ज़रूरी टूल्स भी शामिल होंगे. इसके साथ ही एसडीआरएफ ने जरूरी उपकरणों की लिस्ट भी तैयार कर ली गई है.
एसडीआरएफ को अब हाई-टेक उपकरण भी मिलेंगे. जिसमें ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार, लाइफ डिटेक्टर और RD-400 से मलबे में फंसे लोगों का पता लगाया जाएगा. थर्मल और नाइट विज़न ड्रोन रात और कोहरे में भी राहत कार्य आसान बनाएंगे. वहीं मल्टी-बीम सोनार और अंडरवॉटर कैमरा जल आपदा में लापता लोगों की खोज करेंगे. साथ ही लोड ड्रोन और हाई ब्राइट सर्च लाइट से राहत कार्य और तेज़ और सुरक्षित होंगे. वॉटरप्रूफ बूट्स जैसी बेसिक सुरक्षा भी जवानों की कार्य क्षमता बढ़ाएगा.
बिल्डिंग गिरने या भारी मलबा आने पर नीचे कोई दबा या नहीं किस तरह का मलबा है इसका पता लगाने के लिए भू भेदी रडार खरीदा जा रहा है. एसडीआरएफ के जवान इस रडार से जमीन से 10 मीटर नीचे तक देख सकेंगे. यह रडार अभी केवल सेना के पास है. जमीन के अंदर की गतिविधियों का पता लगाने के लिए लाइफ डिटेक्टर का भी खरीद की जाएगी.
आरडी 400 रडार डिटेक्टर: यह मलबे के नीचे दबे जीवित लोगों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. रडार से मलबे में दबे व्यक्ति की सांस, हिलने ढुलने जैसी गतिविधियों को महसूस किया जा सकेगा.
पेलोड ड्रोन कैमरे: सेंसर या अन्य सामान ले जा सकता है. ऑटोनोमास अंडर वॉटर व्हीकल एक रोबोटिक वाहन है, जो मानव ऑपरेटर के नियंत्रण के बिना पानी के नीचे काम कर सकता है.
एसडीआरएफ आईजी अरुण मोहन जोशी ने कहा एसडीआरएफ अब सिर्फ एक राहत और बचाव बल नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक से लैस हाई-टेक रेस्क्यू फोर्स बनने जा रही है. नई यूनिफॉर्म और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ यह बल आने वाले समय में आपदा प्रबंधन का सबसे मजबूत स्तंभ साबित होगा.