‘नन्हीं परी’ गैंगरेप मर्डर केस, 11 साल बाद आरोपी SC से बरी, कांग्रेस ने सरकार की पैरवी पर उठाए सवाल

पिथौरागढ़: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा ने सोमवार को पिथौरागढ में प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने ‘नन्ही परी’ रेप और मर्डर केस में आरोपी के सुप्रीम कोर्ट से बरी होने से सवाल खड़े किए. इसके लिए प्रदीप टम्टा ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदीप टम्टा का आरोप है कि जिस व्यक्ति को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने सजा दी है, वो सुप्रीम कोर्ट से कैसे बरी हो गया?
प्रदीप टम्टा ने राज्य सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में ठोस तरीके से पैरवी नहीं करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जिस वकील को सरकार की ओर से पैरवी के लिए रखा गया था, उसको नन्हीं परी के बारे में कोई जानकारी तक नहीं है. नन्ही परी के परिजनों को सुप्रीम कोर्ट में केस तक की जानकारी नहीं दी गई.
पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में कई स्थानों पर बच्चियों के साथ इस तरह की वारदातें हुई हैं, क्या उनको न्याय मिल पायेगा? यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट में केस को रि-ओपन करने के लिए शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए. पूरी कांग्रेस पीड़ित परिवार के साथ है. जब तक नन्हीं परी को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक कांग्रेस चुप बैठने वाली नहीं है.
पूरा मामला जानिए: 20 नवंबर 2014 को पिथौरागढ़ की रहने वाली 7 साल की ‘नन्ही परी’ अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में एक शादी समारोह में आई थी. समारोह के दौरान वह अचानक लापता हो गई थी.
6 दिन बाद मिला था शव: बच्ची के लापता होने के छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से मिला. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ दुष्कर्म (गैंगरेप) किया गया था और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना से लोगों में भारी गुस्सा भड़क गया और उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के काफिले पर भी गुस्साई भीड़ ने हमला कर दिया था. पूरे प्रदेश में इस घटना को लेकर उस दौरान बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ था.
दोषियों की गिरफ्तारी और सजा: पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया. घटना के आठ दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दो और आरोपियों प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी पकड़ा गया. मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को गैंगरेप और हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई. प्रेमपाल को पांच साल की सजा दी गई. वहीं तीसरे आरोपी को बरी कर दिया. अक्टूबर 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपी बरी हो गया है.