चमोली के पगनो गांव में आपदा के बाद हालात अब तक नही हुए सामान्य
सुधारीकरण न होने से वर्ष 2021 से भूस्खलन तेज हो गया। जिसने बीते अगस्त माह में विकराल रुप धारण किया।
चमोली जोशीमठ के पगनो के ग्रामीण अब बाहरी क्षेत्रों में नई ठौर खोजने लगे हैं। गांव पैदल रास्ते क्षतिग्रस्त होने के साथ ही वैकल्पिक पयेजल लाइन भी बार-बार क्षतिग्रस्त हो रही है। धूप खिलने पर भूस्खलन क्षेत्र से पत्थर छिटककर आबादी क्षेत्र में आ रहे हैं। ऐसे में ग्रामीण खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं।
जोशीमठ के पगनो गांव में वर्ष 2016-17 में भूस्खलन सक्रीय हुआ था। लेकिन सुधारीकरण न होने से वर्ष 2021 से भूस्खलन तेज हो गया। जिसने बीते अगस्त माह में विकराल रुप धारण किया। बारिश के दौरान भूस्खलन क्षेत्र से गाद और पत्थर बहकर गांव तक पहुंच रहे थे। अब धूप खिलने पर यहां भूस्खलन क्षेत्र से पत्थर छिटक रहे हैं। गांव में एक आवासीय भवन भूस्खलन से जमीदोज हो चुका है। जबकि 135 परिवारों वाले गांव के 50 से अधिक परिवार घरों को छोड़ चुके हैं। 7 परिवार सलूड़ गांव और 15 परिवार गांव में ही सुरक्षित स्थानों पर अस्थाई आवासीय व्यवस्था कर रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय, आंगनबाड़ी केंद्र और वन विभाग की चैकी भी भूस्खलन की चपेट में है। प्राथमिक विद्यालय व आंगनबाड़ी का संचालन पंचायत घर पर किया जा रहा है। जबकि जूनियर हाईस्कूल व इंटर स्तर के बच्चे क्षतिग्रस्त रास्तों से जीआईसी सलूड़ पहुंच रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि भूस्खलन के चलते खेतों में लगाई राजमा, चैलाई और आलू की नगदी फसलें भी बरबाद हो चुकी हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन और शासन से गांव के विस्थापन की कार्रवाई शीघ्र करने की मांग की है।
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