‘उत्तराखंड ने 25 साल में गढ़ा विकास और शौर्य का नया अध्याय’, जानें राष्ट्रपति मुर्मू की विधानसभा में भाषण की बड़ी बातें

देहरादून: अपने तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 2 नवंबर को हरिद्वार और देहरादून में कई कार्यक्रम में शामिल हुईं. दौरे के दूसरे दिन 3 नवंबर को सुबह लगभग 11 बजे वे विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करने उत्तराखंड विधानसभा पहुंचीं. जहां उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. लोकतंत्र के ‘मंदिर’ में पहुंचकर उन्होंने राज्य की जनता, वर्तमान और पूर्व विधायकों को 25 साल की इस उपलब्धियों भरी यात्रा पर बधाई दी.
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में उत्तराखंड की स्थापना जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप हुई थी. तब से लेकर अब तक राज्य ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है. उन्होंने कहा कि डिजिटल और भौतिक कनेक्टिविटी के क्षेत्र में राज्य ने तेजी से विकास किया है, जिससे मानव विकास सूचकांकों में भी सुधार आया है. लगभग 30 मिनट के उनके भाषण के दौरान महिलाओं का जिक्र सबसे अधिक रहा.
महिला सशक्तिकरण को बताया उत्तराखंड की ताकत: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उत्तराखंड में महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में निरंतर प्रगति हो रही है. उन्होंने कहा कि सुशीला बलूनी, बछेंद्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं ने राज्य का नाम रोशन किया है. उन्होंने कहा कि इन महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी. राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उत्तराखंड विधानसभा ने ऋतु खंडूड़ी भूषण को राज्य की पहली महिला अध्यक्ष बनाकर गौरव बढ़ाया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी.
शौर्य और अध्यात्म की धरती को किया नमन: राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की यह देवभूमि सदियों से अध्यात्म और शौर्य की परंपराओं से ओत-प्रोत रही है. यहां के युवाओं में सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का उत्साह सदैव बना रहता है. उन्होंने कुमाऊं और गढ़वाल रेजिमेंट के उदाहरण देते हुए कहा कि यह राज्य पूरे देश के लिए गर्व का विषय है.
समान नागरिक संहिता लागू करने के निर्णय की सराहना: राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान निर्माताओं के नीति-निर्देशों के अनुरूप उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) विधेयक पारित किया जाना ऐतिहासिक कदम है. उन्होंने राज्य विधानसभा द्वारा लोकायुक्त, भूमि सुधार और नकल विरोधी जैसे पारदर्शिता और जनहित से जुड़े विधेयक पारित करने की भी सराहना की.
विधायकों को किया प्रेरित: राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि वे पूरी निष्ठा के साथ विकास और जनकल्याण के कार्यों को आगे बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि जनता और जन-प्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन तभी मजबूत रहता है, जब प्रतिनिधि सेवा-भाव से काम करें. उन्होंने युवाओं के लिए अवसर सृजित करने और वंचित वर्गों के विकास पर विशेष ध्यान देने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सभी विधायक इस बात को ध्यान में रख कर जन सेवा करेंगे.
ई-विधान व्यवस्था से बढ़ी पारदर्शिता: राष्ट्रपति ने उत्तराखंड विधानसभा में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक विधान एप्लीकेशन (National Electronic Vidhan Application) प्रणाली शुरू होने पर भी संतोष जताया. उन्होंने कहा कि इस पहल से न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि अन्य विधानसभाओं के श्रेष्ठ कार्य-प्रणालियों को समझने और अपनाने में भी मदद मिलेगी.
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड की अनुपम प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य को संजोते हुए ही विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य की 25 साल की विकास यात्रा विधायकों और जनता के संयुक्त प्रयासों से संभव हुई है. उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ उत्तराखंड आने वाले वर्षों में और अधिक ऊंचाइयां छूएगा. अपने भाषण के अंत में उन्होंने राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना की.
