26 December 2025

उत्तराखंड में मुद्दों से भटकी राजनीति, AI बन रहा सियासी हथियार, कांग्रेस बीजेपी में मचा घमासान

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देहरादून: उत्तराखंड में भले ही विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, लेकिन पहले ही राज्य की राजनीति अपने चरम पर पहुंचती दिखाई दे रही है. यह राजनीति अब सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बेरोजगारी या पलायन जैसे जमीनी मुद्दों पर नहीं बल्कि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर हो रही है. उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी एक दूसरे पर योजनाओं की नाकामी, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और जनविरोधी फैसलों को लेकर आरोप प्रत्यारोप करते रहे हैं. लेकिन मौजूदा दौर में यह सियासी संघर्ष नीतियों और मुद्दों से हटकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की धुरी बनी हुआ है. दोनों ही पार्टी के नेता इसे डिजिटल हथियार से उनकी छवि खराब करने की बात कर रहे हैं.

AI बना राजनीति का अखाड़ा: हाल के दिनों में राज्य में सामने आए कई विवादों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति अब डिजिटल प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे लड़ी जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एआई वीडियो ने उत्तराखंड की सियासत को गरमा दिया है. हरीश रावत ने AI वीडियो पर आपत्ति दर्ज कराते हुए पुलिस को शिकायती पत्र तक दिया है. साथ ही उन्होंने बीजेपी पर छवि खराब करने का आरोप लगाया है.

बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने: उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के मामले में साफ देखा जा सकता है कि AI का विपक्ष ने कैसे उपयोग किया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का हल्ला सिर्फ ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी में ही सुनाई दे रहा है, कांग्रेस जहां रावत के वीडियो के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है तो बीजेपी में भी उठे एक नए तूफान पर कांग्रेस पर आरोप लगा रही है. ताजा मामला अभिनेत्री उर्मिला सनावर और पूर्व विधायक सुरेश राठौड़ से जुड़ा हुआ है.

भाजपा नेता का नाम सामने आने पर सियासत तेज: अभी तक इन दोनों के बीच ही सोशल मीडिया पर लड़ाई चल रही थी, लेकिन अब यह लड़ाई इतनी बढ़ गई है कि बीजेपी के एक बड़े नेता से लेकर कई नेताओं पर भी अंगुली उठ रही हैं. अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी का नाम पर सियासत तेज हो गई है. भाजपा नेता का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस हमलावर मुद्रा में है. वहीं अभिनेत्री उर्मिला सनावर ने कुछ ऑडियो भी जारी किया जिसमें उन्होंने दावा किया की बात करने वाला इंसान कोई और नहीं बल्कि खुद पूर्व विधायक और बीजेपी के नेता सुरेश राठौड़ हैं. इस पूरे घटनाक्रम के बाद बीजेपी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से छवि खराब करने का आरोप लगा रही है.

अभिनेत्री उर्मिला जांच के लिए तैयार: बीजेपी के मामले में जिस तरह से ऑडियो सामने आए हैं उसके बाद जहां बीजेपी इसकी जांच करवाने और कांग्रेस को साजिश करता बता रही है तो वही ऑडियो जारी करने वाली अभिनेत्री उर्मिला सनावर खुलकर इस पक्ष में है कि अगर यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाई हुई ऑडियो है तो वह हर सजा भुगतने के लिए तैयार है. उर्मिला ने सोशल मीडिया पर जारी किए गए एक वीडियो में साफ कहा है कि वह अपने मोबाइल और इस पूरी कन्वर्सेशन की उच्च स्तरीय जांच करवाने के लिए तैयार है.

दोनों दलों के नेताओं को डरा रहा AI: इस पूरे मामले को लेकर हरीश रावत का कहना है कि बीजेपी लंबे समय से उनकी छवि खराब करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है. 4 घंटे थाने में बैठने के बाद इस मामले में मुकदमा तो दर्ज हुआ है लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा बनाए जा रहे उनके नेगेटिव वीडियो के मामले में पुलिस क्या कार्रवाई करती है. हरीश रावत ने कहा कि उनकी छवि खराब करने पर आने वाले समय में बीजेपी के नेताओं को इसका खामियां भुगतना पड़ेगा.

AI पर बीजेपी भी हमलावर: इसके साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से बनाई गई सुरेश राठौर की ऑडियो हो या फिर उर्मिला सनावर को ढाल बनाकर बीजेपी पर हमला करने की कांग्रेस की साजिश को वह किसी हद तक भी कामयाब होने नहीं देंगे. उन्होंने कहा है कि जिस महिला को आगे करके कांग्रेस यह खेल खेल रही है, उस महिला के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई की जाएगी.

मुद्दों से भटकती राजनीति: सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस राज्य में बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव और आपदा प्रबंधन जैसे गंभीर मुद्दे मौजूद हैं. यहां राजनीति का केंद्र AI से बनी क्लिप्स और सोशल मीडिया विवाद क्यों बन गया है? राजनीतिक विश्लेषक सुनील दत्त पांडेय का मानना है कि उत्तराखंड की राजनीति में यह बदलाव खतरनाक संकेत है, चुनाव से पहले ही यदि दल एक दूसरे की छवि खराब करने के लिए तकनीक का दुरुपयोग करने लगें तो लोकतांत्रिक विमर्श का स्तर गिरना तय है.

AI तकनीक या राजनीतिक हथियार? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने आप में न तो अच्छा है और न ही बुरा. लेकिन इसका इस्तेमाल किस उद्देश्य से किया जा रहा है यही असल सवाल है. उत्तराखंड की राजनीति में AI अब राजनीतिक हथियार बनता जा रहा है, फर्जी वीडियो, डीपफेक ऑडियो और एडिटेड तस्वीरें न केवल नेताओं की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि आम जनता को भी भ्रमित कर रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में AI आधारित दुष्प्रचार लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है.

वरिष्ठ पत्रकार ने क्या कहा: वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सेठी ने इस मामले में कहा कि राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से बीजेपी और कांग्रेस में घमासान मचा है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ऐसा ही चलता रहा तो विधायक जनता, अधिकारी जनता का फोन उठाने से भी कतराने लगेंगे. आधुनिक होती राजजनीति के दोनों तरह के परिणाम हमारे सामने होंगे.

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