केंद्र के फार्मूले पर तय होगी उत्तराखंड फॉरेस्ट फायर प्लानिंग, जानिये क्या होंगे मानक

देहरादून: उत्तराखंड में वनाग्नि से निपटने की तैयारियां और बजट का प्रावधान अब केंद्र के फार्मूले पर चलेगा. वन विभाग ने इसके लिए सभी प्रभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं. जिसमें index में तय नंबरों के आधार पर विभाग के अफसरों को तैयारी करने के लिए कहा गया है.
उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अब तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमता को आंकने का नया पैमाना तय किया गया है. उत्तराखंड वन विभाग ने फॉरेस्ट फायर प्रिपेयर्डनेस इंडेक्स को लागू करने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं. राज्य के सभी वन प्रभागों को 25 अक्टूबर तक अपनी तत्परता का आकलन कर रिपोर्ट देनी होगी. 31 दिसंबर तक प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन कर विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है. मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार साल 2018 में लागू राष्ट्रीय वनाग्नि कार्ययोजना के तहत अब प्रत्येक राज्य को समय-समय पर अपनी तैयारी और कार्ययोजना की स्थिति स्पष्ट करनी होगी. इसके लिए दो प्रमुख आधार तय किए गए हैं.
पहला आधार तत्परता है. जिसमें 45 अंकों का यह पैमाना आग की घटनाओं से निपटने की तात्कालिक व्यवस्था और साधनों की उपलब्धता को मापेगा. दूसरा प्रतिक्रिया क्षमता, जिसमें 55 अंकों का यह पैमाना आग लगने की स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की क्षमता को परखेगा.
पत्र में कहा गया है कि सभी वन प्रभाग अपने- अपने क्षेत्र में उपलब्ध संसाधनों, जनशक्ति और योजनाओं का विवरण तैयार करें. तत्परता के तहत उपकरणों, चौकियों, आग बुझाने के साधनों और संचार व्यवस्था की स्थिति की जांच की जाएगी. यह रिपोर्ट 25 अक्टूबर तक मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय को भेजनी होगी.
उधर प्रतिक्रिया क्षमता से जुड़ी रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि आग लगने की स्थिति में वन विभाग कितनी तेजी से प्रभावी कदम उठाता है. इसमें मानव संसाधन, वित्तीय संसाधन और फील्ड स्तर पर मौजूद तंत्र की कार्यकुशलता को शामिल किया जाएगा. यह रिपोर्ट 31 दिसंबर तक भेजनी होगी. निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्राप्त अंकों के आधार पर प्रत्येक प्रभाग की स्थिति का मूल्यांकन करेंगे. विभाग को इस बात की व्यवस्था करनी होगी कि उच्च स्कोर वाले प्रभाग अपने अनुभव साझा करें. कमजोर प्रभागों को संसाधन व सहयोग उपलब्ध कराएं.
इस मामले पर प्रमुख वन संरक्षक हॉफ बताते हैं कि उन्होंने प्रदेश भर के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं. उन्हें उम्मीद है कि इन निर्देशों का पालन करते हुए वनाग्नि की घटनाओं से निपटने को लेकर काम किया जा सकेगा. CCF वनाग्नि सुशांत पटनायक कहते हैं ये व्यवस्था फॉरेस्ट फायर के लिए उपयोगी होने जा रही है. इससे ये तय हो जाएगा कि कहां कितनी तैयारी की जरूरत है. किन क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान देना है.