25 July 2024

हरक सिंह रावत समेत कई अधिकारियों पर लटकी CBI की तलवार

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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो रेंज अवैध पेड़ कटान मामले को लेकर चर्चाओं में रही है। इस मामले में सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे.. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय समेत NTCA और NGT के अलावा वन विभाग भी इस पर जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट दे चुका है।

उत्तराखंड नैनीताल हाई कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो रेंज अवैध पेड़ कटान मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए है इसके बाद हरक सिंह रावत समेत कई विभाग अधिकारियों पर जांच की तलवार लटक गई है। वहीं सीबीआई जांच के आदेश के बाद भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है,

दरअसल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पाखरो रेंज अवैध पेड़ कटान मामले को लेकर चर्चाओं में रही है। इस मामले में सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे.. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय समेत NTCA और NGT के अलावा वन विभाग भी इस पर जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट दे चुका है। हालांकि नैनीताल हाई कोर्ट में अनु पंत नाम की याचिका कर्ता ने प्रकरण पर सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी, जिस पर बहस के बाद हाई कोर्ट से सीबीआई के आदेश हुए हैं।

सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक भूचाल आ गया है। कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि सीबीआई और ईडी हमेशा से ही भाजपा सरकार के हाथों की कठपुतली बनती रही है इस बार भी विजिलेंस ने जिस तरह हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की वह विपक्षी दल के नेता पर प्रतिशोध के तहत की गई कार्रवाई थी।


इस मामले में हरक सिंह रावत ,आईएएस और आईएफएस अभी के शामिल होने के रिपोर्ट में जिक्र,

साल 2019-20 में पाखरो में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू किया गया।

163 पेड़ काटने की अनुमति ली गई लेकिन रिपोर्ट के अनुसार मौके पर 6000 पेड़ काट दिए गए,

NTCA की टीम ने मौके पर स्थलीय निरीक्षण किया ,

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, एनजीटी और उत्तराखंड वन विभाग ने भी जांच की,

मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट नैनीताल ने भी प्रकरण का स्वत संज्ञान लिया,


मौजूदा वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि फिलहाल नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले का परीक्षण करवाया जाएगा और उसके बाद जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा।


पाखरो टाइगर सफारी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं इस आदेश के बाद यह बात साफ हो जाती है कि इस मामले में अभी बहुत खुलासे होने बाकी है क्योंकि न सिर्फ इसमें हरक सिंह रावत के शामिल होने की बात की गयी है बल्कि शासन में बैठे कुछ इस आईएफएस,और आईएएस अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं । यानी जांच के बाद ही पता लग पाएगा कि कैसे अपनी पावर का उसे कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है

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