SC ने उत्तराखंड सरकार से कहा- वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण पर मूक दर्शक बने रहे, फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश

नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार पड़ी है. राज्य निवासी अनीता कंडवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार और उसके अधिकारी जंगल की जमीन पर कब्जे को लेकर “मूक दर्शक” बने बैठे हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लेते हुए केस शुरू किया.
उत्तराखंड में फॉरेस्ट लैंड पर अतिक्रमण पर सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की वेकेशन बेंच ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को राज्य में वनों की जमीन पर हुए कब्जों की जांच के लिए एक कमेटी बनाने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के अफसरों को फटकार लगाई: सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि, “हमारे लिए सबसे चौंकाने वाली बात है कि उत्तराखंड राज्य और अधिकारी अपनी आंखों के सामने वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को मूक दर्शक की तरह देख रहे हैं. इसलिए हम इस मामले पर स्वत: संज्ञान ले रहे हैं.”
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी से जांच कराने का निर्देश: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की वेकेशन बेंच ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव और प्रधान संरक्षण सचिव को एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कमेटी को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है. बेंच ने कहा कि इस मामले में प्राइवेट पार्टियों को किसी भी तीसरे पक्ष का अधिकार बनाने से रोका जाता है और कोई निर्माण नहीं होगा.
न्यायालय ने कहा, “उत्तराखंड के मुख्य सचिव और प्रधान संरक्षण सचिव को एक तथ्य अन्वेषण समिति गठित करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है. निजी पक्षों को किसी भी प्रकार का तीसरा पक्ष बनाने से रोका जाता है और कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा.”
अतिक्रमण की गई खाली जमीन पर वन विभाग से कब्जा लेने को कहा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिहायशी घरों को छोड़कर खाली जमीन पर वन विभाग कब्जा करेगा. इसके बाद कोर्ट ने छुट्टियों के बाद न्यायालय खुलने पर सोमवार को मामले की सुनवाई तय की है. सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड में जंगल की ज़मीन के एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जे से जुड़ी अनीता कंडवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
