55 साल पुरानी समस्या होगी खत्म! सिरोबगड़ लैंडस्लाइड जोन का होगा ट्रीटमेंट, जानिए क्या है प्लानिंग

रुद्रप्रयाग: सबकुछ ठीक ठाक रहा तो बदरीनाथ हाईवे पर साढ़े चार दशक से नासूर बने सिरोबगड़ लैंस्लाइड जोन का ट्रीटमेंट हो पाएगा. इसके अलावा 6 सालों से अधर में लटके कलियासौड़-खांखरा बाईपास भी जल्द बनकर तैयार हो जाएगा.
सिरोबगड़ के ट्रीटमेंट को लेकर टीएचडीसी ने एसटीपी टेस्टिंग के बाद डीपीआर तैयार कर ली है. वहीं बाईपास निर्माण कार्य भी फिर से शुरू हो चुका है. हालांकि बाईपास निर्माण में पहले पुल का कार्य लगभग 90 प्रतिशत पूरा चुका है, जिसके संचालन में अभी मार्च 2026 तक का समय लग जाएगा.
1970 से बनी समस्या का होगा अंत: बदरीनाथ हाईवे पर हर बरसाती सीजन में रुद्रप्रयाग-श्रीनगर के बीच सिरोबगड़ स्लाइड जोन चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के साथ रुद्रप्रयाग-चमोली जिले की जनता के लिए परेशानी खड़ी करता है. यहां घंटों जाम लगने के साथ ही पहाड़ी से बार-बार भूस्खलन होने लगता है. ये समस्या 1970 के दशक से बनी हुई है, जिसका आज तक स्थाई समाधान नहीं हो पाया है. हालांकि इन दशकों में सिरोबगड़ का समय-समय पर ट्रीटमेंट करने को लेकर लाखों-करोड़ों खर्च किए गए, मगर सफलता नहीं मिल पाई.
बाईपास भी आज तक नहीं बन पाया: सिरोबगड़ में हाईवे के स्थाई समाधान को लेकर चारधाम परियोजना के तहत कलियासौड़-खांखरा साढ़े तीन किमी बाईपास का निर्माण का कार्य भी वर्ष 2019 से शुरू किया गया, लेकिन ये बाईपास भी आज तक नहीं बन पाया है. इस बाईपास में बनने वाले तीन पुलों में मात्र एक ही पुल का कार्य 90 प्रतिशत हो पाया है, जबकि अन्य दो पुलों के एबटमेंट का कार्य ही हो पाया है. इसके अलावा साढ़े तीन किमी बाईपास में ढाई किमी ही सड़क की कटिंग हो पाई है.
कलियासौड़-खांखरा बाईपास का कार्य भी शुरू: वहीं, अब एनएच विभाग ने कार्य योजना के तहत सिरोबगड़ का स्थायी समाधान ढूंढ लिया है. इसके लिए पचास करोड़ रूपए खर्च किए जायेंगे, जिसकी डीपीआर टीएचडीसी ने तैयार की है. टीएचडीसी की गाइडलाइन के तहत सिरोबगड़ में स्लाइड जोन का निराकरण किया जाएगा. इसके ट्रीटमेंट के साथ ही एनएच विभाग ने कलियासौड़-खांखरा बाईपास का कार्य भी शुरू कर दिया है. बाईपास निर्माण के पहले पुल में झुकाव आने के बाद कुछ सालों तक कार्य बंद रहा, मगर अब तकनीकि कारणों को दूर करते हुए कार्य शुरू हो गया है. साथ ही अन्य दो पुलों का कार्य भी किया जा रहा है. विभाग की माने तो डेढ़ से दो सालों में कार्य पूरा हो जाएगा.
पूर्व प्रधान विमल चौहान ने कहा कि तकनीकि खराबी के चलते बाईपास निर्माण का कार्य अधर में लटका रहा. काफी लम्बा समय हो गया है और अब तक कलियासौड़-खांखरा बाईपास का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. डेढ़ सौ करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना पर निरंतर ध्यान देने की जरूरत है. सिरोबगड़ स्लाइड जोन का स्थायी समाधान बाईपास निर्माण ही है.
पूर्व प्रधान विमल चौहान का कहना है कि छह सालों से निर्माण कार्य पूरा ना होना, एनएच विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है. अब कार्य शुरू हो गया है. उम्मीद है कि जल्द ही बाईपास निर्माण होने के बाद सिरोबगड़ की समस्या से निजात मिल जाएगी.
सिरोबगड़ की डीपीआर तैयार, जल्द होगा समाधान: राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड लोनिवि के अधिशासी अभियंता ओंकार पाण्डेय ने बताया कि बदरीनाथ हाईवे पर सिरोबगड़ स्लाइड जोन की समस्या आज की नहीं है. इसके स्थाई समाधान को लेकर अब कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. टीएचडीसी ने एसटीपी टेस्ट कर लिया है और डीपीआर भी तैयार हो चुकी है. ऐसे में ट्रीटमेंट का कार्य भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
उन्होंने बताया कि पचास करोड़ की लागत से सिरोबगड़ का स्थाई ट्रीटमेंट किया जाएगा. चारधाम परियोजना के तहत कलियासौड़-खांखरा बाईपास साढ़े तीन किमी राजमार्ग का कार्य भी फिर से शुरू हो गया है. इसमें ढाई किमी रोड़ बन चुकी है, जबकि पहले ब्रिज का कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है. अगले वर्ष मार्च तक वाहनों के आवागमन के लिए पुल तैयार हो जाएगा. इसके अलावा अन्य पुलों के कार्य के साथ ही बाईपास निर्माण कार्य डेढ़ से दो सालों में पूरा करने की कोशिश की जाएगीय
उन्होंने खांखरा के ग्रामीणों से कहा कि बाईपास बनने से खांकरा बाजार को कोई नुकसान नहीं होगा, जबकि सिरोबगड़ का स्थाई ट्रीटमेंट होने के साथ ही बाईपास बनने से स्थानीय लोगों को काफी लाभ मिलेगा. दोनों ही मार्ग खुले रहेंगे, जिससे बरसाती सीजन में आवाजाही में कोई समस्या नहीं होगी और जाम की समस्या से भी निजात मिल जाएगा
सिरोबगड़ स्लाइड जोन पर चार शोधार्थियों ने की पीएचडी: बदरीनाथ हाईवे के सिरोबगड़ स्लाइड जोन पर चार शोधार्थियों ने पीएचडी की है. सिरोबगड़ की समस्या आज की नहीं है, बल्कि ये समस्या 1970 के दशक से बनी हुई है, जिसके समाधान को लेकर करोड़ों रूपए बहाए जा चुके हैं, लेकिन हर बार अस्थाई समाधान के चलते तीर्थयात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों को मुसीबतों से जूझना पड़ा है. अब इसके स्थाई समाधान को लेकर टीएचडीसी ने डीपीआर तैयार कर ली है और एनएच विभाग भी जल्द कार्य शुरू करने की तैयारी में है. इसके स्थाई समाधान के बाद बरसाती सीजन में चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थयात्रियों के साथ ही रुद्रप्रयाग और चमोली की जनता को भी राहत मिलेगी.
