विधुत विभाग के अधिशासी अभियंता को जान से मारने की धमकी
मुकदमों में 7 वर्ष की सजा नहीं होती उन मामलो में पुलिस रिमांड नहीं ले पाती है जिससे कोतवाली से ही ज़मानत दे दी गयी है।
जनपद उधम सिंह नगर के काशीपुर विधुत विभाग के कार्यालय में उस वक्त हड़कंप मच गया,जिस वक्त विधुत विभाग के अधिशासी अभियंता को 50 लाख की फिरौती ना देने पर जान ने मारने की धमकी भरा पत्र डांक के द्वारा मिला। मिले अज्ञात इस पत्र के बाद अधिशासी अभियंता के मन में डर का माहौल पैदा हो गया जिसके बाद तत्काल पुलिस को सुचना दी, पुलिस ने सुचना मिलते ही अपनी कार्यवाही करते हुए धमकी देने वाले युवक का पता निकाल कर अपने हिरसात में तो ले लिया लेकिन इतनी बड़ी घटना होने के बाबजूद एक मामूली कार्यवाही कर कोतवाली से ही जमानत पर छोड़ दिया। ये विभाग के सेवानिवृत एसडीओ का ही पुत्र निकला जोकि अब ये घटना चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ में जिसमें पुलिस की कार्यवाही पर भी सवाल खड़े होते नज़र आ रहें हैं। आपको बता दें कि बीते काशीपुर में तैनात विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता अजीत कुमार यादव को पत्र भेजकर 50 लाख रूपयों की रंगदारी मांगने तथा रकम न देने पर मौत के घाट उतारने की धमकी देने वाले शातिर अभियुक्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वह कोई और नहीं बल्कि अभी कुछ माह पूर्व सेवानिवृत हुए विद्युत विभाग के एसडीओ जसपुर मदन लाल टॉक का पुत्र नितेश कुमार ही निकला। अपने पिता के बदले रंजिश रखने को लेकर ऐसे कार्य को अंजाम दिया है। बीते 9 जनवरी को काशीपुर में विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता अजीत कुमार यादव ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि रजिस्टर्ड डाक से उन्हें एक पत्र प्राप्त हुआ है,जिसमें अज्ञात शख्स द्वारा 50 लाख रूपयों की फिरौती मांगी गई है। पत्र में साफ लिखा है की रकम न देने पर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने अज्ञात शख्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जब इसकी विवेचना शुरू की तो परत दर परत तस्वीर साफ होने लगी। यह पत्र काशीपुर के डाकघर से भेजा गया था। दिन तारीख आदि की जांच के बाद जब पुलिस ने पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का अवलोकन किया तो एक संदिग्ध महिला डाक पोस्ट करती नजर आई। पुलिस जैसे ही उस महिला तक पहुंची तब उसकी पहचान अलीगंज रोड निवासी शालिनी पत्नी गुरजीत सिंह के रूप में हुई। थाने लाकर महिला से कड़ाई से पूछताछ करने पर पता चला कि बीते 4 जनवरी को उसके मित्र नितेश कुमार पुत्र मदनलाल टॉक द्वारा एक रजिस्ट्री करने के लिए बाकायदा उसे प्रेरित किया गया। महिला ने पुलिस को बताया कि नितेश के कहने पर उसने अधिशासी अभियंता अजीत कुमार यादव के नाम सील बंद लिफाफा रजिस्ट्री किया। पुलिस को जैसे ही इसका पता चला उसने तत्काल अभियुक्त नितेश कुमार को तत्परता दिखाते दबोच लिया। पुलिस की कड़ी पूछताछ में पकड़े गए नितेश कुमार ने जुर्म को कुबूल कर लिया। यह मामला धारा 385 में पंजीकृत किया गया था। जिसको लेकर पुलिस ने आरोपी युवक को अपनी हिरासत में लेते हुए कोतवाली से ही ज़मानत पर भेज दिया है। मामला संगीन होने के बाद पुलिस की इस मामूली कार्यवाही के बाद क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ हुआ है। मुकदमों में 7 वर्ष की सजा नहीं होती उन मामलो में पुलिस रिमांड नहीं ले पाती है जिससे कोतवाली से ही ज़मानत दे दी गयी है।