1994 के रामपुर तिराहा काण्ड पर आज आया कोर्ट का फैसला, आजीवन कारवास की सजा
आंदोलनकारियों में शामिल दो महिलाओं से दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था।
दो अक्टूबर 1994 का दिन उत्तराखंड के लोग कभी नहीं भूल सकते है। जब पृथक राज्य गठन की मांग को लेकर उत्तराखंड के लोग दिल्ली जा रहे थे।आंदोलनकारियों में शामिल दो महिलाओं से दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था। आज मुकदमे में नामजद आरोपियो को न्यायालय ने दोषी पीएसी के सेवानिवृत सिपाहियों को मुजफ्फरनगर में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
वही अब रूडकी के ढंढेरा के रहने वाले आंदोलनकारी प्रकाश चंद कांति जो तीस बरसो से विल चेयर पर बैठकर जीवन व्यतीत कर रहे है। ये इस आन्दोलन का मुख्य हिस्सा रहे है।
उन्होने बताया कि तीस साल बाद फैसला आया। फैसला बहुत लेट आया है। जो भी उस मामले में दोषियों सभी को सजा होनी चाहिए। फैसले को लेकर आन्दोलन कारियों से मिली जुली प्रतिक्रिया आई है।
प्रकाश चंद कांति के पिता ने दर्द ब्याह करते हुए बताया कि उनका बेटा तीस बरसो से अपाहिज बैठा है। लेकिन कोइ सुविधा नही मिल सकी।